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Sunday, December 5, 2010

Liga Fan Clubs սկսում ենք տարբեր տրամադրություններով:

Էլ Կլասիկոյից հետո տրամադրություններս մի փոքր տարբեր էին: Չգիտեինք ուրախանայինք Բարսայի ֆան ակումբի նկատմամբ հիանալի հաղթանակով (4-11) թե մեր հարազատ ակումբի անփառունակ պարտությունից "լոմկա" մնայինք: Տենց ինչպես խոսք էի տվել ուզում եմ Իմ ահռելի շնորհակալություններս ասեմ Իմ Հրաշք թիմին , ովքեր կերտեցին այս պատմական հաղթանակը: Բոլորի ներդրումը թիմի հաղթանակում շատ մեծ էր , սկսած Դարպասապահներից և Գոլ խփողներից , վերջացրած պահեստայինների նստարանով: Էլ չէմ ասում այդ օրը հավաքված Հադիսատեսի մասին , ով շատ ակտիվ էր: Մի խոսքով բոլորիդ հիանալի ու անրկնելի օրվա համար Թենքս: Թվեմ Բոլորին. Սեթո, Աբո, Բգո, Մխո, Իշխան, Հար8, Գոռո, Հովո, Նարեկ, Հարութ, Աբո (Fanat) և ես: Հատուկ շնորհակալություններ Ֆանատին Վանաձորից հատուկ Այս խաղին ժամանելու համար: Դավոին շատ Մերսի աջակցության կազմակերպման և առհասարակ ամենինչի համար:
Եվ այս ամենից հետո , մենք բարձր տրամադրությամբ մոտենում ենք , իր տեսակի մեջ նոր և հետաքրքիր ապագա խոստացող «Liga Fan Clubs» Ֆուտզալի Սիրողական առաջնությանը: Որտեղ մեր մասնակցությունը կունենանք:
Եվ հուսանք հաղթանակով կավարտենք մրցաշարը: Բայց դեռ վաղ է խոսել հաղթանակի մասին: Նախ պետք է խաղալ: Իսկ կխաղանք մենք այս անգամ փոքր-ինչ երիտասարդ կազմով , հիմնականում , խաղալու և փորձ ձեռք բերելու հնարավորություն կստանան Մեր Կաստիլյաի երիտասարդ տաղանդները: Նրանց իրենց վստահությունը կփորձեն փոխանցել արդեն փորձառու խաղացողները:
1.Seto 17տ
4.Araminho 15տ
5.Harut 27տ
6.Hovo 17տ
7.Robbie 19տ
9.MelIsh 15տ
10.Mojito 18տ
11.Goro 20տ
13.Bgo 20տ
14.Ervand 15տ
Չմտածեք թե թվերն եմ բաց թողել , ուղղակի Համարների խնդիր կա , քանի որ , ասենք Մեր 8 Համար Հար8-ը Հարգելի Պատճառներով չի խաղալու: Լրիվ ոնց որ Կական:
Թիմերը Բաժանվեցին 2 խմբի:

Խումբ Ա

1.Synopsys
2.Realmadrid.am
3.SYL SC
4.FAF


Խումբ Բ


1.FreeStyle
2.Akumb.am
3.Instigate
4.ProMed

Երեքշաբթի. B1-B4 19:30 , B2-B3 20:30
Չորեքշաբթի. A1-A4 21:00 , A2-A3 22:00
Կիրակի. A1-A2 20:00, A3-A4 19:00


Հովանավորներն են «Նաիրի Ինշուրանսը» , ինչպես նաև աջակցում են «Ակումբ 12»-ը և «Red Bull»-ը:
Առաջին Հանդիպումը տեղի կունենա Ինչպես երևի հասկացաք ամսի 8-ին ԵԱԴ-ի թիմի հետ: Շատ հետաքրքիր հանդիպում է լինելու վստահ եմ: Շատ կարևոր հանդիպում է լինելու առաջին հերթին: Հետո Արդեն FAF-ի և Synopsys-ի հեն կխաղանք:
Հ.Գ. Նախնական Հայտով Առաջնությանը պետք է մասնակցեր նորահայտ Բարսա.am կայքը , որը վերջին պահին հրաժարվել է մասնակցությունից...

4 comments:

  1. महाकालसंहिता कामकलाकाली खण्ड पटल १५ - कामकलाकाल्याः प्राणायुताक्षरी मन्त्रः

    ओं ऐं ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं हूं छूीं स्त्रीं फ्रें क्रों क्षौं आं स्फों स्वाहा कामकलाकालि, ह्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं ठः ठः दक्षिणकालिके, ऐं क्रीं ह्रीं हूं स्त्री फ्रे स्त्रीं ख भद्रकालि हूं हूं फट् फट् नमः स्वाहा भद्रकालि ओं ह्रीं ह्रीं हूं हूं भगवति श्मशानकालि नरकङ्कालमालाधारिणि ह्रीं क्रीं कुणपभोजिनि फ्रें फ्रें स्वाहा श्मशानकालि क्रीं हूं ह्रीं स्त्रीं श्रीं क्लीं फट् स्वाहा कालकालि, ओं फ्रें सिद्धिकरालि ह्रीं ह्रीं हूं स्त्रीं फ्रें नमः स्वाहा गुह्यकालि, ओं ओं हूं ह्रीं फ्रें छ्रीं स्त्रीं श्रीं क्रों नमो धनकाल्यै विकरालरूपिणि धनं देहि देहि दापय दापय क्षं क्षां क्षिं क्षीं क्षं क्षं क्षं क्षं क्ष्लं क्ष क्ष क्ष क्ष क्षः क्रों क्रोः आं ह्रीं ह्रीं हूं हूं नमो नमः फट् स्वाहा धनकालिके, ओं ऐं क्लीं ह्रीं हूं सिद्धिकाल्यै नमः सिद्धिकालि, ह्रीं चण्डाट्टहासनि जगद्ग्रसनकारिणि नरमुण्डमालिनि चण्डकालिके क्लीं श्रीं हूं फ्रें स्त्रीं छ्रीं फट् फट् स्वाहा चण्डकालिके नमः कमलवासिन्यै स्वाहालक्ष्मि ओं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः महालक्ष्मि, ह्रीं नमो भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा अन्नपूर्णे, ओं ह्रीं हूं उत्तिष्ठपुरुषि किं स्वपिषि भयं मे समुपस्थितं यदि शक्यमशक्यं वा क्रोधदुर्गे भगवति शमय स्वाहा हूं ह्रीं ओं, वनदुर्गे ह्रीं स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोरघोरतरतनुरूपे चट चट प्रचट प्रचट कह कह रम रम बन्ध बन्ध घातय घातय हूं फट् विजयाघोरे, ह्रीं पद्मावति स्वाहा पद्मावति, महिषमर्दिनि स्वाहा महिषमर्दिनि, ओं दुर्गे दुर्गे रक्षिणि स्वाहा जयदुर्गे, ओं ह्रीं दुं दुर्गायै स्वाहा, ऐं ह्रीं श्रीं ओं नमो भगवत मातङ्गेश्वरि सर्वस्त्रीपुरुषवशङ्करि सर्वदुष्टमृगवशङ्करि सर्वग्रहवशङ्करि सर्वसत्त्ववशङ्कर सर्वजनमनोहरि सर्वमुखरञ्जिनि सर्वराजवशङ्करि सर्वलोकममुं मे वशमानय स्वाहा, राजमातङ्ग उच्छिष्टमातङ्गिनि हूं ह्रीं ओं क्लीं स्वाहा उच्छिष्टमातङ्गि, उच्छिष्टचाण्डालिनि सुमुखि देवि महापिशाचिनि ह्रीं ठः ठः ठः उच्छिष्टचाण्डालिनि, ओं ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां मुखं वाचं स्त म्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं नाशय ह्रीं ओं स्वाहा बगले, ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं धनलक्ष्मि ओं ह्रीं ऐं ह्रीं ओं सरस्वत्यै नमः सरस्वति, आ ह्रीं हूं भुवनेश्वरि, ओं ह्रीं श्रीं हूं क्लीं आं अश्वारूढायै फट् फट् स्वाहा अश्वारूढे, ओं ऐं ह्रीं नित्यक्लिन्ने मदद्रवे ऐं ह्रीं स्वाहा नित्यक्लिन्ने । स्त्रीं क्षमकलह्रहसयूं.... (बालाकूट)... (बगलाकूट )... ( त्वरिताकूट) जय भैरवि श्रीं ह्रीं ऐं ब्लूं ग्लौः अं आं इं राजदेवि राजलक्ष्मि ग्लं ग्लां ग्लिं ग्लीं ग्लुं ग्लूं ग्लं ग्लं ग्लू ग्लें ग्लैं ग्लों ग्लौं ग्ल: क्लीं श्रीं श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं पौं राजराजेश्वरि ज्वल ज्वल शूलिनि दुष्टग्रहं ग्रस स्वाहा शूलिनि, ह्रीं महाचण्डयोगेश्वरि श्रीं श्रीं श्रीं फट् फट् फट् फट् फट् जय महाचण्ड- योगेश्वरि, श्रीं ह्रीं क्लीं प्लूं ऐं ह्रीं क्लीं पौं क्षीं क्लीं सिद्धिलक्ष्म्यै नमः क्लीं पौं ह्रीं ऐं राज्यसिद्धिलक्ष्मि ओं क्रः हूं आं क्रों स्त्रीं हूं क्षौं ह्रां फट्... ( त्वरिताकूट )... (नक्षत्र- कूट )... सकहलमक्षखवूं ... ( ग्रहकूट )... म्लकहक्षरस्त्री... (काम्यकूट)... यम्लवी... (पार्श्वकूट)... (कामकूट)... ग्लक्षकमहव्यऊं हहव्यकऊं मफ़लहलहखफूं म्लव्य्रवऊं.... (शङ्खकूट )... म्लक्षकसहहूं क्षम्लब्रसहस्हक्षक्लस्त्रीं रक्षलहमसहकब्रूं... (मत्स्यकूट ).... (त्रिशूलकूट)... झसखग्रमऊ हृक्ष्मली ह्रीं ह्रीं हूं क्लीं स्त्रीं ऐं क्रौं छ्री फ्रें क्रीं ग्लक्षक- महव्यऊ हूं अघोरे सिद्धिं मे देहि दापय स्वाहा अघोरे, ओं नमश्चा ameya jaywant narvekar

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